दिल्ली



आज काफ़ी दिनों बाद

दिल्ली की हवा में एक अजीब सा नशा महसूस हुआ।


अपने रात के सन्नाटे में,

दीवाली की रौशनी को

खुद में समेटती हुई दिल्ली

ने जैसे मेरे बेचैन 

और अंधेरे रूह 

को एक पनाह दिया।

एक घर दिया जिसकी तलाश थी कबसे

और कुछ अपना सा महसूस हुआ।

बहुत अपना। और फ़िर याद आया 

की यही तो इसकी नियत है।

सबको अपना सा महसूस करा कर

खुद ख्वाबों के तले दब जाती है दिल्ली।

कुछ हमारे ही तरह शायद।


एक ख्याल आया फ़िर ये भी,

कि शायद कुछ हमारे ही तरह

कहीं थक तो नही गयी होगी दिल्ली? मैंने कोशिश की

कि पूछूँ उससे भी

उसके जज़्बात ओ हालात।

कि कहानी सुनूं कुछ उसकी भी

जो शायद किसी को बताने के लिए

बेताब होगी दिल्ली। कुछ चाय हो, कुछ बातें हों।

कुछ ग़ालिब ओ मीर के शेर 

कुछ मुग़ल दरबार के राज़,

कुछ बगावत की बातें

कुछ बटवारे के एहसास,

मेरे साथ बांट कर, बयान कर

शायद अपना भी दिल हल्का करना चाहती थी

दिल वालों की दिल्ली। 


लेकिन वक़्त शायद थोड़ा कम था मेरे पास।

मंज़िल आ चुकी थी, जाना था।

पर इतना तो तय है

कि किसी रोज़

मजबूरियों से फुरसत ले कर

रात के सन्नाटे में,

दीवाली की रोशनी में,

एक चाय का कप हाथ में लेकर

दूसरा उसकी तरफ बढ़ा कर

पूछुंगी उससे भी

"और, क्या हाल चाल हैं? सब बढ़िया?"


Author:

Shambhavi Jha
2nd Year, History Hons. KMC





Shambhavi Jha is a 2nd year student of History Hons. of Kirori Mal College. This work of hers has won the second prize under the category of poetry in the Talent Hunt held on 13th April, 2021 as a part of Kirori Mal College's History Society's annual fest ATEET.

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